Thursday, September 17, 2015

Part-2 of Essay on Man ek bartan nahi balki jwala hai

हमें अपने मन को समझकर ,उसे ज्ञान की ज्वाला से प्रज्वलित करना चाहिए । कठिन परिश्रम एवम् दृढ़ संकल्प से मन को जाग्रत किया जा सकता है। हाथ पर हाथ रखकर बैठने से , आलस्य और किस्मत का बहाना बना कर , सफलता के लिए प्रयत्न और परिश्रम न करना ,मन को एक बर्तन के जैसे भरना ही तो है।

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